लेके फिर अवतार कन्हैया, श्लोक – यदा यदा हि धर्मस्य, ग्लानिर्भवति भारत, अभ्युत्थानमधर्मस्य, तदात्मानं सृजाम्यहम्। परित्राणाय साधूनां, विनाशाय...
लेके फिर अवतार कन्हैया, श्लोक – यदा यदा हि धर्मस्य, ग्लानिर्भवति भारत, अभ्युत्थानमधर्मस्य, तदात्मानं सृजाम्यहम्। परित्राणाय साधूनां, विनाशाय च दुष्कृताम्, धर्मसंस्थापनाथाय, सम्भवामि युगे युगे। लेके फिर अवतार कन्हैया, कलयुग में आ जाओ, पाप से धरती हो गई विचलित, धरा का बोझ मिटाओ।। झूठ कपट ने पग पग पर है, डाला अपना डेरा, लालच लोभ ने […]
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