पंख जो होते मैं उड़ जाती, नन्द बाबा के द्वार, उमड़ उमड़ मेरो जिया आवे, बहे दूध की धार, लाल मेरो रोवत होयगो, के भूखो सोवत होयगो।। तर्ज – स्वर्ग...
पंख जो होते मैं उड़ जाती, नन्द बाबा के द्वार, उमड़ उमड़ मेरो जिया आवे, बहे दूध की धार, लाल मेरो रोवत होयगो, के भूखो सोवत होयगो।। तर्ज – स्वर्ग से सुन्दर सपनो से। मेरे पति छबड़ा में धर के, जब से गोकुल पहुंचाए, मेरे कुंवर गए जा दिन से, मैंने दर्शन तक ना पाए, […]
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