मेरे कृष्ण कन्हैया रे, ओ मुरली बजैया रे, मेरा भी कुछ सोच लो तुम, कोई ना सहारा है, तुझे दिल से पुकारा है, मेरा भी कुछ सोच लो तुम।। तर्ज – चिट...
मेरे कृष्ण कन्हैया रे, ओ मुरली बजैया रे, मेरा भी कुछ सोच लो तुम, कोई ना सहारा है, तुझे दिल से पुकारा है, मेरा भी कुछ सोच लो तुम।। तर्ज – चिट्ठी ना कोई सन्देश। जब से आया जग में, बड़े दुखड़े देखे है, अब और ना सह पाऊं, कैसे ये लेखे है, कुछ दया […]
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